आमतौर: पर लोगो की धारणा है कि होम्योपैथी इमरजेन्सी में काम नहीं करती है क्योकि इसका असर बहुत धीरेध्रीरे होता है ,और जब तक दवा असर करेगी तब तक रोगी का बहुत नुकसान हो जायेगा लेकिन ऐसा नहीं है ,यदि किसी भी इमरजेन्सी केस में सही समय में सही दवा तुंरत दी जाए तो न केवल रोगी की जान बच जायेगी बल्कि उसे कोई गंभीर नुकसान भी नहीं होगा .एक प्रचलित धारणा यह भी है कि होम्योपैथी दवा सिर्फ बच्चो कि मामूली चोट के लिए ही उपयोगी है किन्तु यहाँ तथ्य पूरी तरह से सही नहीं है ||
होम्योपैथिक दवा न केवल साधारण चोट में उपयोगी है बल्कि यह हार्ट अटेक ,कोमा आदि गंभीर इमरजेन्सी में भी अति उपयोगी है .
सामान्यतः सभी प्रकार कि इमरजेन्सी को दो भागो में बांटा जा सकता है –
1) सामान्य इमरजेन्सी
2) गंभीर इमरजेन्सी
• सामान्य इमरजेन्सी –
A) सामान्य चोट
B) रक्तस्त्राव
C) सामान्य या अचानक उत्पन्न होने वाले दर्द
D) संक्रमण
E) मोच
• गंभीर इमरजेन्सी –
F) जलना
G) हड्डी टूटना
H) लू लगना
I) टिटनेस
J) सदमा
K) हार्ट अटेक
L) बच्चे का पेट में उल्टा होना / प्रसव में समस्या
• सामान्य इमरजेन्सी –
A) सामान्य चोट– बच्चो को खेलते वक्त चोट लगना ,और काम करते समय मामूली चोट या कट लगना अथवा वाहन से मामूली दुर्घटना होना .ये सभी सामान्य चोट के अर्न्तगत आते है .ऐसे समय में कुछ उपयोगी होम्योपैथिक दवाए न केवल कटे हुए घाव भरने , रक्तस्त्राव रोकने में उपयोगी है बल्कि ये दर्द को भी कम कर देती है जैसे –Calendula, Arnica, Hypericum आदि.
B) रक्तस्राव– यद्यपि रक्तस्राव किसी भी प्रकार की बाह्य या आन्तरिक चोट का परिणाम होता है लकिन रक्तस्राव को कई प्रकारून मैं विभक्त किया जा सकता है – सामान्य चोट लगने पर होनेवाला रक्तस्राव, नाक से रक्तस्राव (नकसीर), महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान होनेवाला अतिस्राव आदि. कभी-२ किडनी मे पथरी की समस्या होनेपर भी मूत्र के साथ रक्तस्राव संभव है. होम्योपैथी मैं रक्तस्राव फ़ौरन रोकने के लिए भी पर्याप्त दावा उपलब्ध हैं जैसे – Calendula, Millofolium , Hammamalis , Crot-Horआदि. .
C) सामान्य या अचानक उत्पन्न होने वाले दर्द– शरीर के किसी भी भाग मे होनेवाला दर्द स्वयं मे कोई बीमारी नहीं है बल्कि यह अन्य बीमारियों का अलार्म है. दर्द अनेक तरह के हो सकते हैं – शरीर के किसी भी भाग मे बिना किसी कारण के achanak होनेवाला दर्द, चोट लगने का दर्द, बीमारी का दर्द, मासिक धर्म मे दर्द आदि. कुछ ख़ास होम्योपैथिक दवाए न kewal दर्द को स्थायी रूप से ख़त्म करती हैं बल्कि कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता किन्तु दवाए लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेलेना उचित है. उपलब्ध दवाई हैं – Rhus Tox, Mag. Phos, Arnica आदि.
D) संक्रमण– किसी भी प्रकार के संक्रमण को नियंत्रित करने मैं होम्योपैथिक दवाए सक्षम हैं.मौसमी संक्रमण, फोडे, मुहांसे, खुजली, एक्सिमा,एलर्जी आदि के लिए Gunpowder, Silicea आदि होम्योपैथिक दवाए कारगर हैं.
E) मोच– सामान्य कार्य के दौरान,भारी वजन उठाने से, गलत तरीके से कसरत करने से आदि अनेक कारन हैं जो मोच के लिए उत्तरदायी हो सकते हैं.प्रायः मोच शरीर के लचीले भागों जैसे कलाई, कमर, पैर,आदि को प्रभावित करती है. लोगों का सोचना है के मालिश ही इसका सर्वोत्तम उपचार है लेकिन मोच के लिए भी होम्योपैथिक दवाए उपलब्ध हैं जो ना केवल मोच के दर्द से राहत देती हैं बल्कि सुजन को दूर करने मे भी सहायक हैं यथा –Ruta, Rhus Tox आदि.
• गंभीर इमरजेन्सी –
आमजन के मस्तिष्क मैं यह बात बहुत गहराई तक बैठी हुई है कि गंभीर इमरजेन्सी से होम्योपैथिक दवा का कोई नाता नहीं है क्योंकि गंभीर इमरजेन्सी मैं यह नाकाम है लेकिन यह तथ्य पूर्णतः सही नहीं है. कुछ विशिष्ट होम्योपैथिक दवाए गंभीर इमरजेन्सी को फ़ौरन नियंत्रित करने मैं सक्षम हैं. यहाँ मैंने ऐसे हे कुछ गंभीर इमरजेन्सी और उनकी दवाओं का विवरण दिया है –
F) जलना– जलना एक दर्दनाक प्रक्रिया है जो कई कारणों से हो सकती है – महिलाओं का किचेन मैं कार्य करते वक़्त जल जाना, आग या भाप से जलना, सनबर्न आदि. जलने पर उपरोक्त होम्योपैथिकदवाएं प्रयोग मैं लाये जा सकती हैं –Cantharis, Urtica- Uren, Kali mur आदि.
G) हड्डी टूटना – हड्डी टूटना एक आम इमर्जेंसी है जो प्रायः वृद्ध लोगो मे, बच्चों मैं अथवा दुर्घटना आदि के कारण हो सकती है. लोगो के एक आम सोच है के भला होम्योपैथिक दवाए कैसे इसे ठीक कर सकती हैं?
लेकिन होम्योपथी के खजाने मैं कुछ ऐसे दवाएं भी हैं जो दर्द को दूर करके टूटी हड्डी को पुनः जोड़ने मैं सक्रिय भूमिका निभाती हैं – Sympht, Ruta, Cal. Phos आदि इसी के उदहारण हैं.
H) लू लगना– गर्मी के मौसम मैं बरती गयी लापरवाही या कुछ मामूली गलतियाँ लू लगने के लिए जिम्मेदार होती हैं जैसे – धूप मैं घूमना, धूप से आते ही ठंडा पानी पीना, तेज़ गर्मी से आते ही कूलर या एसी मैं बैठना इन सब कारणों से शरीर तथा बाहरी वातावरण के बीच संयोजन गडबडा जाता है और व्यक्ति लू का शिकार हो जाता है. प्रायः लोग नहीं समझ पाते कि उनको लू का आघात लगा है. इसके मुख्य लक्षण- तेज़ बुखार, वामन, तेज़ सिरदर्द आदि हैं. लक्षण गंभीर होनेपर रोगी की मृत्यु भी संभव है. लू से बचाव के लिए होम्योपैथिक दवाए उपयोगी हैं. लू लगने पैर इनके फ़ौरन दी गई १ या २ खुराक रोगी की जान बचाने के लिए पर्याप्त हैं. जैसे – Nat-Mur, Glonineआदि.
I) टिटनेस – लोहे की ज़ंग लगी वास्तु से चोट लगाने पर या वाहन से दुर्घटना होने पर टिटनेस का खतरा पैदा हो जाता है जो जानलेवा भी साबित हो सकता है. होम्योपैथी मैं टिटनेस के लिए दोनों हे विकल्प मौजूद हैं –
1) चोट लगने पर फ़ौरन ली जानेवाली दवाई ताकि भविष्य मैं टिटनेस की सम्भावना न रहे.
2) टिटनेस हो जानेपर उसे आगे बढ़ने से रोकने तथा उसके उपचार हेतु ली जानेवाली दवाई.
जैसे – Hypericum, Led Pal आदि.
J) सदमा– यह एक अत्यधिक गंभीर इमर्जेंसी है जो व्यक्ति पर अस्थायी अथवा दूरगामी दोनों प्रकार के प्रभाव छोड़ सकती है. अचानक कोई ख़ुशी या गम का समाचार, प्रियजनों के मृत्यु, किसी भयानक दुर्घटना या खून आदि के घटना को साक्षात देखना आदि सदमे के मुख्य कारण हो सकते हैं. इसमें व्यक्ति अचानक बेहोश हो जाता है, उसकी आँखें चढ़ जाती हैं, दांत बांध जाते हैं तथा कभी कभी आवाज़ या याददाश्त भी चली जाती है. ऐसी अवस्था मैं प्रति ५-५ मिनट के अन्तराल पर कुछ विशिष्ट होम्योपैथिक दवाओं के खुराक दे कर व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है जैसे –Ars Alb, Carbo Veg, Nat. Mur आदि.
K) हार्टअटेक– यह बड़ा प्रचलित तथ्य है कि हार्ट अटेक जैसी अति गंभीर इमर्जेंसी और होम्योपैथिक दवाओं के बीच कोई सम्बन्ध नहीं है क्यूंकि ऐसी हालत मैं हॉस्पिटल हे अंतिम विकल्प है जबकि अनेक बार ऐसा भी होता है कि रोगी हॉस्पिटल पहुँचने से पहले रास्ते मैं हे दम तोड़ देता है क्योंकि हार्ट अटेक के रोगी को फ़ौरन देखभाल तथा उपचार की ज़रूरत होती है.
होम्योपैथिक दवाओं मैं केवल हार्ट अटैक से बचाव करने के ही शक्ति नहीं है बल्कि यह रक्त संचार को नियमित बनाकर भविष्य मे हार्ट अटैक से बचाव प्रदान करती है, हार्ट के नालियों मे खून का थक्का बननेपर उसको घोल के समाप्त कर देती है तथा हार्ट की पेशियों को ताकत प्रदान करती है. सर्वोत्तम बात यह है कि इन दवाओं को जीवनभर प्रयोग करने की आवश्यकता नहीं होती किन्तु इनका प्रभाव स्थाई होता है. जैसे – Glonine, Ammonium Carb आदि.
L) बच्चे का पेट में उल्टा होना / प्रसवमेंसमस्या– यह एक बहुत ही गंभीर स्थिती है जिससे अधिकांश महिलाएं प्रसव के दौरान गुजरती हैं. अपने विकास काल के दौरान कभी-२ शिशु गर्भाशय मैं आड़ा या उल्टा हो जाता है. यह स्थिति माता और शिशु दोनों के ही जीवन के लिए खतरनाक हो सकती है यहाँ तक कि कई बार ऑपरेशन हे अंतिम विकल्प रह जाता है. इसी प्रकार से कई बार प्रसव के दौरान महिला को प्रसव पीडा अचानक बंद हो जाती है जो शिशु जन्म मैं तकलीफ का कारण बन जाती है.
होम्योपैथी मैं कुछ ऐसे विशिष्ट दवाएं हैं जो इस प्रकार के आपात अवस्था मे देने पर फ़ौरन अपना प्रभाव उत्पन्न करती हैं, ये रुकी हुई प्रसव पीडा को पुनः प्रारंभ करती हैं, शिशु जन्म को सरल बनती हैं तथा गर्भ मे शिशु की स्थिति को भी पुनः सही कर देती हैं लेकिन ये दवाएं किसी कुशल होम्योपैथिक सलाहकार की देख रेख मैं हे लेना उपयोगी होता है. कहा जा सकता है कि यह दवाएं ऑपरेशन से बचाव प्रदान करती हैं. जैसे –Sepia, Pulsatila, Caulophyllum.
नोट – कृपया किसी भी दवाई का सेवनहोम्योपैथिक डॉक्टर की सलाह के बिना नाकरें क्योंकि सभी दवाओं की potencyअलग– अलग होती है, इसके अतिरिक्त रोगी /व्यक्ति के अन्य शारीरिक व् मानसिक लक्षणभी अत्यधिक महत्व रखतेहैं.