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पुनर्नवाष्टक कषाय बनाने की विधि

पुनर्नवाष्टक कषाय

-: पुनर्नवाष्टक कषाय प्रयुक्त औषधियॉ :-

▪पुनर्नवा की जड़, नीम की अन्तरछाल, पटोलपत्र, सोंठ, कुटकी, गिलोय, दारुहल्दी, और हरड़ ! सभी आठों औषधियॉ बराबर बराबर मात्रा में लेना है !!

-: पुनर्नवाष्टक कषाय बनाने की विधि :-

▪ सभी उपरोक्त औषधियों को समभाग लेकर जौकुट्ट करके सुरक्षित कर लें ! इसमें से ४ से ८ तोले जौकुट्ट चूर्ण का काढ़ा बनाकर उस काढ़े के दो हिस्से कर एक हिस्सा सुबह पीना है ! व एक हिस्से को साम को पीना है ! यह रोज बनाकर ही पीना है ! जब तक रोग का समन न हो जाये !!

-: पुनर्नवाष्टक कषाय के लाभ :-

✍🏻 इस क्वाथ के सेवन से सर्वांङ्ग शोथ, और उदररोग का निवारण होता है ! तथा लक्षण रूप उपद्रव रूप से उत्पन्न काश शूल, श्वास और पाण्डुरोग भी नष्ट हो जाते है ! विशेषत: यह क्वाथ मण्डूर भष्म के साथ अनुपान रूप से दिया जाता है !!

यह क्वाथ शोथ रोग की उत्तम और निर्मल औषधि है ! इसके सेवन से पेसाब साफ व खुलकर आता है ! तथा कोष्ठबद्धता को भी दूर करता है ! ज्वररहित शोथ और ज्वरयुक्त शोथ, मूल रोग शोथ और लक्षण रूप शोथ, सब पर व्यवहृत होता है ! निर्बल व्यक्ति को बलाबल अनुसार मात्रा देनी चाहिए !!

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