सर्वाधारे सर्व बीजे सर्व शक्ति समन्विते। सर्व कामप्रदे देवि सर्वेष्टं दोहिमे धरे॥ (ब्रह्मवैवर्त पुराण)
“हे पृथ्वी देवी तू सबकी आधार, सबकी बीजरूप, सब प्रकार की शक्ति से युक्त तथा समस्त इच्छाओं को पूर्ण करने वाली है, मेरा कल्याण कर।”
मिट्टी एक अत्यन्त साधारण वस्तु समझी जाती है और इसी कारण उसे विशेष महत्व नहीं दिया जाता। इस दृष्टि से तो उसे बहुत घटिया, निकृष्ट दर्जे की चीज माना गया है और जो आदमी बिल्कुल निकम्मा होता है उसे मिट्टी की उपमा दी जाती है। पर इसी रद्दी और निकम्मी समझी जाने वाली मिट्टी में बड़े−बड़े अनमोल गुण भरे हुए हैं।
किसी भी प्रकार की चोट लगने, तेज हथियार से कट जाने, आग से जल जाने, बन्दूक की गोली लगने, फोड़े−फुन्सियाँ होने, दाद−खाज, खारिश (एक्जिमा) होने, रोग विष के कारण किसी स्थान के सूज जाने, बिच्छू, ततैया, साँप के काट लेने, हड्डी के टूट जाने आदि बीसियों रोगों तथा दुर्घटनाओं में तत्काल गीली मिट्टी लगा लेने से जादू का सा प्रभाव दिखाई देता है।
मिट्टी में विजातीय द्रव्यों को सोखने की शक्ति:
मिट्टी की इस आश्चर्यजनक शक्ति का कारण उसकी विजातीय विषों तथा कीटाणु जनित विकारों को सोख लेने की शक्ति होती है। पीड़ा के स्थान पर लगाते ही मिट्टी अपना काम करने लगती है और कभी−कभी जब कि रोग का विकार तीव्र होता है दस−पाँच मिनट में ही गर्म हो जाती है जिससे उसे हटाकर दूसरी मिट्टी रखना आवश्यक होता है। मिट्टी की पट्टी प्रायः हर बीमारी में फायदा पहुँचाती है। अन्दरूनी गहरे विकार जहाँ तक दवाओं का असर ठीक तरह नहीं पहुँचता मिट्टी के प्रभाव से आराम हो जाते हैं। गुर्दे की खराबी, मूत्राशय के रोग, पेट के भीतरी फोड़े, गर्भाशय के विकार, दिल की धड़कन, जिगर की सूजन आदि प्राणघातक रोग भी निरन्तर मिट्टी की पट्टी का प्रयोग करते रहने से अच्छे हो जाते हैं। पेट का दर्द, कब्ज, आँतों का दाह, संग्रहणी, पेचिश, पाण्डुरोग आदि में भी पेट पर मिट्टी की पट्टी बाँधने से बहुत लाभ होता है।