कुछ चोट लग जाती है और कुछ छोटे बहुत गंभीर हो जाती है। जैसे कोई डाईबेटिक पेशेंट है चोट लग गयी तो उसका सारा दुनिया जहां एक ही जगह है, क्योंकि जल्दी ठीक ही नही होता है। और उसके लिए कितना भी चेष्टा करे डाक्टर हर बार उसको सफलता नही मिलता है। और अंत में वो चोट धीरे धीरे गैंग्रीन (अंग का सड जाना) में कन्वर्ट हो जाती है।
ऐसी परिस्थिति में एक औषधि है जो गैंग्रीन को भी ठीक करती है और ओस्टोमएलइटिस (अस्थिमज्जा का प्रदाह) को भी ठीक करती है।
गैंग्रीन माने अंग का सड जाना, जहाँ पर नए कोशिका विकसित नही होते। ना तो मांसमें और ना ही हड्डी में और सब पुराने कोशिका मरते चले जाते हैं और वो ऐसा सडता है के डाक्टर कहता है की इसको काट के ही निकालना है और कोई दूसरा उपाय नही है।।
ऐसे परिस्तिथि में जहां शरीर का कोई अंग काटना पड जाता हो या पडने की संभावना हो, घाव बहुत हो गया हो उसके लिए आप एक औषधि अपने घर में तैयार कर सकते है।
औषधि :
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देशी गाय का मूत्र (सूती कपडे के 8 परत कपडो में छान कर), हल्दी और गेंदे का फूल। गेंदे के फूल की पीला या नारंगी पंखुरियाँ निकालना है,फिर उसमे हल्दी डालकर गाय का मूत्र डालकर उसकी चटनी बनानी है। अब चोट कितना बडा है उसकी साइज के हिसाब से गेंदे के फूल की संख्या तय होगी, माने चोट छोटा है तो एक फूल, बडा है तो दो,तीन, चार अनुमान से लेना है। इसकी चटनी बनाकर इस चटनी को लगाना है जहाँ पर भी बाहर से खुली हुई चोट है जिससे खून निकल रहा है और ठीक नही हो रहा।
इसको दिन में कम से कम दो बार लगाना है जैसे सुबह लगाकर उसके ऊपर रुई पट्टी बांध दीजिये ताकि उसका असर बाँडी पर रहे और शाम को जब दुबारा लगायेंगे तो पहले वाला धोना पडेगा, इसको गोमूत्र से ही धोना है डेटोल जैसो का प्रयोग मत करिए, गाय के मूत्र को डेटोल की तरह प्रयोग करे। धोने के बाद फिर से चटनी लगा दे। फिर अगले दिन सुबह कर दीजिये।
यह इतना प्रभावशाली है के आप सोच नही सकते, चमत्कार जैसा लगेगा। इस औषधि को हमेशा ताजा बनाकर लगाना है। किसी का भी घाव किसी भी औषधि से ठीक नही हो रहा है तो ये लगाइए।
जो सोराइसिस गिला है जिसमे खून भी निकलता है, पस भी निकलता है उसको यह औषधि पूर्णरूप से ठीक कर देता है।
प्राय: यह एक्सीडेंट के केस में खूब प्रयोग होता है क्योंकि ये लगाते ही खून बंद हो जाता है। आपरेशन का कोई भी घाव के लिए भी यह सबसे अच्छा औषधि है।
गीला एक्जीमा में यह औषधि बहुत काम करता है ||