-: अशोकादि कषाय :-
-: आवस्यक औषधियॉ :-
▪अशोक की छाल १० तोले, तथा आम की छाल, जामुन की छाल, बेर ( झड़बेरी ) की छाल, ५/५ तोले लेकर जौकुट्ट कर चूर्ण कर लें ! इस जौकुट्ट चूर्ण की २/२ तोले की मात्रा का क्वाथ बनाकर १/१ तोला गौघृत और ६/६ मासे मिश्री मिलाकर भोजन के तीन घण्टे बाद तीसरे पहर पिलाएं या सुबह साम सेवन करें !!
-: १३ : अशोकादि कषाय के लाभ :-
✍🏻इस कषाय के प्रयोग से रक्तप्रदर नया या पुराना, दोनो का शमन हो जाता है ! गर्भाशय की श्लैष्मिक कला का प्रदाह, रक्तवाहनियों का फटना, गर्भाशय की दुष्टि, इन सब रोगों पर यह कषाय हितकारी है !!
-: १४ : योनिसंकोचन योग :-
क :- कुठ, धाय के फूल, बड़ी हरड़, फिटकरी, मॉजूफल, लोध, भॉग, और अनार की छाल, ये सब १/१ तोला मिलाकर चूर्ण करें ! तथा ४० तोले शराब में डालकर ७ दिन तक पड़ा रहने दे ! तथा दिन में २/३ बार बोतल को हिला दिया करें ! ७ दिन बाद छान कर रख लें ! इस अर्क में रुई की फुरेरी डुबोकर योनि के भीतर चारो ओर लेप कर देने से शिथिल योनि दृढ़ हो जाती है !!
ख :- मॉजूफल ३ तोले, कपूर और फिटकरी ३/३ मासे, मिलाकर कपड़छान चूर्ण करें ! फिर पतले कपड़े की छोटी छोटी पोटली बनाकर, योनि केे अन्दर रखें ! पोटली का एक डोरा बढ़ा कर रखें ताकि जरूरत पर डोरा पकड़कर पोटली बाहर निकाल सकें ! इस प्रकार पोटली रखने से योनि तंङ्ग हो जाती है ! कमल नीचे गिर जाता हो, और नया रोग हो तो वह भी अपने स्थान पर स्थिर हो जाता है !!
ग :- भॉग की पोटली योनि में रखने से प्रसूता की योनि भी कुवॉरी कन्या की तरह तंङ्ग हो जाती है !!
घ :- मॉजूफल, मांई, फिटकरी और राल, चारो को समभाग मिलाकर पोटली बना योनिपर रखाने से योनि संकुचित हो जाती है !!
-: १५ : योनिकण्डूहर योग :-
क :- फिटकरी कच्ची ६ मासे, १ सेर जल में मिलाकर दिन में तीन बार योनि को धोने से खुजली दूर हो जाती है !!
ख :- तेज शराब का फाहा कण्डु स्थान पर रख देने से कीटाणुं नष्ट होकर तीब्र कण्डुरोग से निजात हो जाती है !!
ग :- कपूर, अफीम, मुर्दासंग, चन्दन का तेल, और सुहागे का फूला, यह पांचो १/१ मासे तथा नीलगिरी तेल ५ मासे और वैसलीन या धोया हुआ घृत ढाई तोला लेकर मलहम बना लें ! इस मलहम का लेप योनिपर करने से योनि कण्डू रोग का शमन हो जाता है !!
घ :- त्रिफलाघन सत्व या उदुम्बर घन सत्व को जल में मिलाकर योनि को धुलने से कण्डूरोग व उससे उत्पन्न पिड़िकाएं नष्ट हो जाती हैं !!