इमोश्नल मेच्योरिटी एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है, जो जीवन भर चलती रहती है। इसके लिए लगातार प्रयास और मेहनत की आवश्यकता होती है।
हम रोज़ाना कई लोगों से मिलते हैं। उनका न केवल पहनावा एक-दूसरे से भिन्न होता है, बल्कि उनके मन में पल-पल उठने वाले विचार भी एक-दूसरे से मेल नहीं खाते हैं। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो न केवल दूसरों को सुनते हैं, बल्कि उन्हें समझने की क्षमता भी रखते हैं। ऐसे लोग व्यवहार से सहज और समझदार होते हैं। अपने जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव और लोगों से मेलजोल इन्हें औरों से अलग करता है। इसी कारण ऐसे लोगों को भावनात्मक रूप से परिपक्व (emotionally mature) कहा जाता है। क्या आप भी भावनात्मक तौर पर मजबूत हैं? चलिए, कुछ सवालों का जवाब देकर हम अपनी भावनात्मक मजबूती को जांचते हैं।
भावनात्मक परिपक्वता क्या है? | What is emotional maturity?
भावनात्मक परिपक्वता के विषय में राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्दवानी में मनोवैज्ञानिक डॉ. युवराज पंत के अनुसार, जो व्यक्ति अपनी भावनाओं को उचित और उच्च तरीके से नियंत्रित कर सकता है, वही पूरी तरह से भावनात्मक तौर पर परिपक्व होता है। उनका मानना है कि जो लोग अपनी भावनाओं को सरल और सही तरीके से व्यक्त नहीं कर पाते, उन्हें भावनात्मक परिपक्वता की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। डॉ. युवराज पंत के मुताबिक, इस परिपक्वता की नींव बचपन से ही डालनी चाहिए। इससे व्यक्ति की सोच और समझ में समय के साथ वृद्धि होती रहती है।
ये 6 संकेत बताते हैं कि आप भावनात्मक रूप से मजबूत हैं | These 6 signs show that you are emotionally strong
1. दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुँचाए बिना प्रक्रिया देना | Giving process without hurting the feelings of others
बहुत से लोग ऐसे होते हैं, जो दूसरों की भावनाओं को नजरअंदाज करते हुए अपनी मनमानी करते हैं। वे अपनी बात को मनमाने तरीके से दूसरों के सामने रखने में समझदारी समझते हैं। ऐसा करने से अन्य लोगों की भावनाएं आहत हो सकती हैं और आपके रिश्ते भी खराब हो सकते हैं। ऐसे में कुछ भी कहने से पहले दूसरों की सुनें और उनके भावनाओं को ध्यान में रखते हुए अपनी बात रखें।
2. तर्कसंगत सोच को बढ़ावा देना | Promote rational thinking
डॉ. युवराज पंत कहते हैं कि भावनात्मक रूप से परिपक्व लोग हर चीज के पीछे का तर्क खोजने की कोशिश करते हैं। वे अंधविश्वास से दूर रहते हैं और अपने विचारों और निर्णयों में व्यस्त रहते हैं। वे तर्कसंगत सोच को बढ़ावा देने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। उन्हें किसी बात को लेकर बहकाने या बरगलाने की संभावना बहुत कम होती है। वास्तव में, वे लोग किसी काम को करने का निर्णय तभी लेते हैं जब वह तर्क की कसौटी पर खरा उतरता है।
3. धैर्यवान होना और सुनना | Being patient and listening
धैर्यवान और सुनने की क्षमता रखने वाले लोग अपनी बात कहने की बजाय दूसरों की बात सुनने में अधिक विश्वास रखते हैं। वे अपने आसपास के लोगों का निरीक्षण करते हैं और उनके सकारात्मक गुणों को अपनाते हैं। वे लड़ाई-झगड़ों और बहस से दूर रहते हुए जीवन को सरल और सुलझा हुआ बनाना पसंद करते हैं। हर काम को सोच-समझकर ही करते हैं। वास्तव में, जीवन में आपकी अपेक्षाएँ पहले से ही निर्धारित होती हैं और उन्हीं के अनुसार वे जीवन को एक नया स्वरूप देते हैं।
4. दूसरों के हाव भाव को समझने की क्षमता | Ability to understand the body language of others
जो लोग भावनात्मक रूप से मजबूत होते हैं, वे अपनी प्रबलता के माध्यम से दूसरों के हाव-भाव को आसानी से पहचान लेते हैं। वे समझ सकते हैं कि कोई व्यक्ति किस कारण से आपसे जुड़ा हुआ है, कौन व्यक्ति किस बात पर प्रतिक्रिया देगा और किस बात से उसे संतुष्टि मिलेगी। दूसरों को समझने की यह परख आपकी भावनात्मक परिपक्वता को दर्शाती है।
5. अकेले रहते हुए भी सहज महसूस करना | Feeling comfortable even being alone
ऐसे लोग हमेशा अपने आसपास भीड़-भाड़ को पसंद नहीं करते। दरअसल, भावनात्मक रूप से मज़बूत लोग अकेलेपन में भी खुशी महसूस करते हैं। वे इस समय का सदुपयोग करते हैं, अक्सर किताबें पढ़ने या अन्य ज़रूरी कामों में समय बिताते हैं।
6. अपने बारे में दूसरों के विचार जानना | Knowing what others think about you
ऐसे लोग अपनी गतिविधियों का न केवल मूल्यांकन करते हैं, बल्कि दूसरों के नज़रिए को भी जानने के इच्छुक रहते हैं। वे हमेशा अपने व्यवहार के बारे में दूसरों की प्रतिक्रियाएं लेते हैं ताकि वे खुद में सुधार कर सकें। खुद को और बेहतर बनाने की प्रवृत्ति उन्हें हमेशा औरों से अलग बनाती है।