विधारा (घाव पत्ता) – Vidhara Plant Benefits in Hindi
इसके पत्तों को तोड़कर निचली सतह को गीले कपडे से पोछ कर साफ़ कर लें जिससे की बारीक रोये निकल जाये अब इस पत्ते को पीसकर रस निचोड़कर लगभग 20-25 ml रस निकाल लें |
इस रस (Vidhara Ras) को दिन में तीन चार बार पीने से पूरे शरीर में कहीं भी ब्लीडिंग हो रही हो रुक जाती है. कई बार माताओं बहनों को विभिन्न समस्याओं के कारण गर्भाशय से heavy bleeding होती है रक्त के थक्के से निकलते हैं, पीरियड्स में रक्त बहुत आता हो तो विधारा का यह प्रयोग काम करता है जब बड़े बड़े डॉक्टर नाकाम हो जाएँ महंगी दवाए अपना असर न करें तो
इसको कर के देखें पहली खुराक से ही आराम मिलेगा इसका कोई भी साइड इफ़ेक्ट नहीं है पूरी तरह जांचापरखा देसी नुस्खा है.
खुनी बवासीर हो और रक्त रोके न रुके तो बताई विधि से निकाल कर Vidhara Ras पिए.
शरीर में कहीं भी घाव हो गया हो घाव भर ही न रहा हो महंगे महंगे एंटीबायोटिक्स असफल हो जाएँ तो विधारा के पत्तों की निचली सतह के रेशों को गीले कपडे से पोछ कर साफ़ करके पत्तों को आंच में हल्का गरम करके ऊपर की चिकनी वाली सतह की तरफ से घाव पर बाँध दें. आठ दस घंटे पर पत्ते बदलते रहे. पहले दिन से घाव भरने लगेगा.
लम्बी बीमारी के कारण बिस्तर पर पड़े रहने वाले मरीजो के शरीर में bed sore हो जाते हैं, कभी कभी तो यह bed sore रीढ़ की हड्डी तक पहुचने लगते हैं ज्यादा बढ़ जाए तो भयानक दुर्गन्ध आती है मरीज को साक्षात् नरक जैसा अहसास होता है अपने ही पास जाने से कतराने लगते हैं. ऐसी अवस्था में विधारा के रस को सर्जिकल कॉटन या गाज पट्टी की सहायता से बार बार लगाये जहाँ पर बाँधने की सुविधा हो तो बाँध भी सकते हैं. कैसा भी bed sore हो जरुर ठीक होगा.
मधुमेह के मरीजों में जूते चप्पल काटने के कारण गैंग्रीन हो जाती है डॉक्टर के पास जाओ तो पहले कुछ दिन दवाई खिलाएंगे दवाओं की खुराक में कुछ हेरफेर करेंगे फिर कहेंगे आप इस ऊँगली को कटवा दे लेकिन बात यहीं नहीं रूकती किसी और ऊँगली में घाव होने के बाद धीरे से किसी दिन वो ऊँगली भी निकाल दी जाती है मरीज बेचारा असहाय हो जाता है मरता क्या न करता वाली हालत होती है कभी किसी बड़े शुगरक्लिनिक पर जाएँ आपको ऐसे मरीज दिख जायेंगे जिनकी तीन चार उंगलिया निकाल दी गयी होती है. इस गैंग्रीन की समस्या में विधारा (Vidhara Plant leaves) के पत्ते बड़ा काम करते है. इन्हें गरम करके चिकनी वाली सतह की तरफ से बांधना होता है|
विधारा के पत्तों को रोये वाली सतह की तरफ से घाव पर नहीं बाँधा जाता है. यह सतह फोड़े को पकाने के लिए प्रयोग की जाती है.विधारा का एक अन्य प्रचलित नाम घावपत्ता भी है इसे आयुर्वेद में समुद्रशोष के नाम से भी जानते हैं.यह पूरे भारत में बहुत आसानी से उपलब्ध है इसको घरों में बड़े गमलों में लगाया जा सकता है यह वैसे भी निर्जन पड़े स्थानों में आसानी उग आता है जो पौधे धुप में होते हैं उनका इस्तेमाल करना ज्यादा अच्छा है.
इसके अन्य नाम Elephant Creeper, अधोगुडा, घाव बेल, समुद्र सोख, Hawaiian Baby Woodrose, Woolly Morning Glory. आदि हैं