Site icon Herbsjoy.com

बकायन tree के लाभ और हानि

बकायन

परिचय :

बकायन का पेड़ (bakayan tree) बहुत बड़ा होता है। इसके पत्ते कड़वे नीम के समान तथा आकार में कुछ बड़े होते हैं। बकाइन (bakayan) की लकड़ी इमारती कामों के लिए बहुत उपयोगी होता है। यह छायादार पेड़ (tree) होता है। इसके फल भी कड़वे नीम के फल के समान होते हैं। इसकी छाया शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होती है। इसीलिए इसे रास्तों के दांयी-बांयी ओर अधिकतर लगाया जाता है। अरब देशों में इसके पेड़ अधिक मात्रा में पाये जाते हैं। इसे कड़वा नीम भी कहा जाता है।

विभिन्न भाषाओं में नाम :

संस्कृत – महानिम्ब
हिन्दी – बकाइन, बकायन
गुजराती – बकामलीमड़ी
मराठी – बकाणलींब
बंगला – घोड़ा नीम, महानिम
कन्नड़ – महाबेवु, अरबेधु
तेलगू – तुरकवेपा, पेदावेपा
तमिल – मलाइवेंबु
फारसी – अजाद दरख्त
अरबी – हर्बीत, बान
पंजाबी – धरेक
लैटिन – नेलिया एजेडेरक

रंग :बकायन का फल काले रंग का होता है।

स्वाद : इसके फल का स्वाद कड़वा होता है।

स्वरूप : बकायन का फल बहुत ही प्रसिद्ध है।

स्वभाव : इसके फल की तासीर गर्म होती है।

हानिकारक : बकाइन का अधिक मात्रा में सेवन दिल और आमाशय के लिए हानिकारक हो सकता है।

नोट : इसके पेड़ के किसी भी अंग का उपयोग उचित मात्रा में तथा सावधानीपूर्वक करना चाहिए, क्योंकि यह कुछ विषैला होता है। फलों की अपेक्षा इसके छाल और फूल कम विषैले, इसके बीज सबसे अधिक विषैले और ताजे पत्ते हानि रहित होते हैं।
दोषों को दूर करने वाला : सौंफ, बकायन के फल के दोषों को दूर करता है।

तुलना : बकायन के फलों की तुलना मजीठ से की जा सकती है।

मात्रा : इसे 6 से 10 ग्राम की मात्रा में सेवन किया जाता है।

गुण :

बकायन के फल गांठों को तोड़कर बाहर निकाल देता है। यह सूजनों को पचा देता है। खून को साफ करता है। बरवट (प्लीहा का बढ़ना) के दर्द को रोकता है। यह बवासीर के लिए लाभकारी होता है तथा यह सूखी या गीली खुजली को मिटाता है। इसका तेल पुट्ठों की ऐंठन और दर्द के लिए लाभकारी रहता है। इसका फल शीतल, कषैला, तीखा और कड़वा होता है तथा यह जलन, कफ, बुखार, गर्मी, पेट के कीडे़, हृदय की पीड़ा, उल्टी, प्रमेह, हैजा, गैस, शीतपित्त, गले के रोग, सांस सम्बन्धी बीमारी, चूहे के विष और सभी प्रकार के सफेद दागों को दूर करता है।
यह रोम कूपों को साफ करता है, पित्त और कफ को दस्तों के द्वारा बाहर निकालता है, बवासीर और बरबट को लाभ पहुंचाता है, हृदय की सख्ती के लिए लाभकारी होती है। यह सूखी और गीली खुजली को मिटाता है। बकाइन चूहों के विषों को दूर करता है। बकाइन का लेप सूजनों को पचाता है। इसकी छाल का मंजन दांतों को सुन्दर व मजबूत बनाता है।

बकाइन के विभिन्न उपयोग :

1. कुत्ते के काटने के जहर पर : बकाइन के जड़ का रस निकालकर पीने से कुत्ते के काटने पर उसका जहर नहीं फैलता है।

2. गठिया (जोड़ों का दर्द) :

3. पित्त के कारण से आंखों में दर्द होने पर :

4. भैंस की सूजन पर : बकाइन अथवा बांस के पत्तों को पीसकर पिलाने से आराम मिलता है।

5. प्रमेह : बकाइन के फलों को चावल के पानी में पीसकर और उसमें घी डालकर प्रमेह के रोगी को पिलाना चाहिए। इससे प्रमेह के रोगियों को जल्द ही आराम मिलता है।
6. मस्तिष्क की गर्मी: बकायन के फूलों का लेप करने से मस्तिष्क की गर्मी मिट जाती है।

7. सिर में दर्द :

8. मुंह के छाले :

9. गंडमाला (गले की छोटी-छोटी गिल्टियां):

11. पेट का दर्द : पेट के दर्द में बकायन के पत्तों की 3 से 5 ग्राम की मात्रा के काढ़े में 2 ग्राम शुंठी चूर्ण मिलाकर रोगी को पिलाने से पेट के दर्द में लाभ मिलता है।

Exit mobile version