
कुछ किताबें ऐसी होती हैं जो सिरहाने रखी जाती हैं कुछ अलमारी में सहेज दी जाती हैं लेकिन कुछ ऐसी होती हैं जिनका इंतज़ार नहीं किया जा सकता। ये किताबें हाथ में आते ही पढ़ना शुरू कर देने वाली होती हैं। लेकिन अगर वही किताब समय पर न पहुंचे तो सारा रोमांच ठंडा पड़ जाता है। इसीलिए आज बात उन किताबों की जो मिलती हैं फौरन और पढ़ी जाती हैं तुरंत।
जब पढ़ना जरूरी हो और इंतज़ार न किया जा सके
कभी-कभी किसी कहानी की शुरुआत में ही दिल ऐसा बंध जाता है कि बाकी दुनिया धुंधली लगने लगती है। अब अगर उस किताब को पाने के लिए हफ्तों इंतज़ार करना पड़े तो पढ़ने का स्वाद भी खो जाता है। यहीं पर काम आती हैं ई-किताबें जो इंतज़ार को एक कोने में धकेल देती हैं।
आज के समय में कई सेवाएं मौजूद हैं जो किताबों को तुरंत उपलब्ध करवाती हैं। इन सेवाओं में सबसे बड़ी खासियत यह है कि न तो डिलीवरी का झंझट है न ही पार्सल खो जाने की चिंता। एक क्लिक और किताब स्क्रीन पर हाज़िर। इससे पढ़ने की आदत को नई ऊर्जा मिलती है और पाठक अपने समय का बेहतर उपयोग कर पाते हैं।
फौरन पढ़ने लायक किताबें कैसी होनी चाहिए
किताबें जो बिना इंतज़ार के मिलें उनका सिर्फ जल्दी आना ही काफी नहीं होता। उनमें विषय की विविधता भी जरूरी है। पाठकों को चाहिए रहस्य भी इतिहास भी और थोड़ी बहुत कल्पना भी। तकनीक ने जहां इन किताबों को उपलब्ध कराना आसान बना दिया है वहीं यह जिम्मेदारी भी बनती है कि जो पढ़ा जाए वो समय के लायक हो।
अच्छी ई-किताबें उन सवालों का जवाब देती हैं जो मन में देर से कुलबुला रहे होते हैं। ये ज्ञान देती हैं बहस का सामान देती हैं और कभी-कभी कुछ पुरानी यादों को भी जगा देती हैं। जब किताबें इस तरह से जुड़ाव लाती हैं तो वो सिर्फ शब्द नहीं रह जातीं वो साथी बन जाती हैं।
यहां कुछ जरूरी बातों पर नज़र डालते हैं जो इन किताबों को खास बनाती हैं:
- विषय की ताजगी
ऐसी किताबें जो तुरंत उपलब्ध होती हैं अक्सर नई सोच लेकर आती हैं। उनमें वो विचार होते हैं जो अभी चर्चा में हैं या जिनकी जरूरत आज महसूस हो रही है। इससे पाठकों को न सिर्फ नया ज्ञान मिलता है बल्कि वो संवाद में भी हिस्सेदार बन पाते हैं।
- भाषा की सहजता
तेजी से मिलने वाली किताबें तभी उपयोगी होती हैं जब उनकी भाषा सीधी और आत्मीय हो। न बहुत बोझिल न बहुत सजावटी। एक ऐसी शैली जो अपनेपन का अहसास दे। यही कारण है कि आजकल पाठक उन किताबों की तरफ झुकते हैं जिनमें भाषा की सादगी हो और कहने का ढंग साफ हो।
- उपयोग का तरीका
जब किताबें डिजिटल रूप में उपलब्ध होती हैं तो उन्हें पढ़ने का तरीका भी बदल जाता है। कहीं मोबाइल पर तो कहीं टैबलेट पर। ऐसे में फॉर्मेट का सही होना भी बहुत जरूरी है। अच्छी ई-किताबें उन सभी उपकरणों पर सहजता से खुलती हैं और बिना किसी रुकावट के पढ़ी जा सकती हैं।
इस तरह की किताबें न सिर्फ पढ़ने के अनुभव को बेहतर बनाती हैं बल्कि पढ़ने की गति को भी बनाए रखती हैं जिससे पाठक लगातार जुड़े रहते हैं।
क्यों अब किताबों को पाने के लिए इंतज़ार करना पुरानी बात हो गई है
बहुत समय पहले किताबें डाक से मंगाई जाती थीं। उनका आना एक कार्यक्रम जैसा होता था। आज के समय में वो रफ्तार न के बराबर रह गई है। अब किताबें किसी त्योहार का हिस्सा नहीं रही जो तारीख देखकर आएं अब वो जरूरत की चीज बन गई हैं जो तुरंत चाहिए।
ई-पुस्तकालयों ने इसे मुमकिन किया है कि कोई भी किताब कुछ ही पलों में आंखों के सामने आ जाए। चाहे रात हो या दिन कहानी वही है जो शुरू होते ही खींच ले और ज़्यादा इंतज़ार न करे। इसमें एक बात और जुड़ती है कि ई-पुस्तकें कहीं भी पढ़ी जा सकती हैं ट्रेन में दफ्तर में या फिर रात के किसी कोने में।
पाठकों की पहली पसंद बनते डिजिटल विकल्प
एक समय था जब ऑनलाइन पढ़ना एक प्रयोग माना जाता था। लेकिन अब यह मुख्यधारा है। इसकी वजह न सिर्फ आसानी है बल्कि विविधता भी। कई विकल्प उपलब्ध हैं और हर विकल्प अपने तरीके से उपयोगी है।
वहीं जब पढ़ने की इच्छा तीव्र हो और विकल्प की तलाश हो तब यह जरूरी हो जाता है कि पाठक को भरोसा हो कि जिसे चुना गया है वह विश्वसनीय भी है। जबकि Anna’s Archive और Library Genesis लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं Z-library एक भरोसेमंद विकल्प बना हुआ है।
यही वह संतुलन है जो एक अच्छे ई-पाठक को चाहिए। किताबें जो न सिर्फ जल्दी मिलें बल्कि पढ़ने का आनंद भी बनाए रखें। क्योंकि जब किताब तुरंत मिले और दिल को भी छू जाए तो वही होता है असली पाठन अनुभव।