पुनर्नवा के उपयोग Punarnava Benefits In Hindi
पुनर्नवा (Punarnava) जिसे हम लोकल भाषा मे सांटी के नाम से भी जानते है | बारिश के मोसम मे खुले मेदानो मे अपने आप खूब हो जाती है |पुनर्नवा रोग का निवारक करने वाली औषधि है, रसायन है व शक्तिदायक टॉनिक भी है। हम इस हेरबसजोय ब्लॉग पोस्ट में पुनर्नवा के 26 चमत्कारी उपयोग बताने जा रहे है |
*शरीरं पुनर्नवं करोति, *
*पुनः पुनर्नवा भवति।।*
आयुर्वेद के मत अनुसार पुनर्नवा के सेवन से वृद्ध व्यक्ति भी पुनः जवान हो जाता है |
पुनर्नवा रसायन एवं रक्तवर्धक होने से शरीर को पुनः नया बना देती है और इसी लिए ये पुनर्नवा कहते हैं।
पुनर्नवा का उपयोग कर आपअपने स्वास्थ्य को अच्छा बना सकते है |
वर्षा ऋतु मे पुनर्नवा के मृत पौधे पुन: जीवित हो जाते हैं| शाखाएँ पुनः फूट पड़ती हैं.और पौधा अपनी मृत जीर्ण-शीर्णावस्था से दुबारा नया जीवन प्राप्त कर लेता है| इस विलक्षणता के कारण ही ऋषिगणों ने इसे पुनर्नवा नाम दिया है|
Botanical Name of Punarnava is Boerhavia diffusa Linn. (Boerhavia repens Linn). Boerhavia diffusa is also sometimes written as Berhaavia diffusa. Punarnava is belongs to NYCTAGINACEAE family.
पुनर्नवा के दूसरी भाषा मे नाम
English Common Names- Spreading Hogweed, Red Hogweed, horse purslane, pigweed, Red spiderling, Tarvine
Punjabi Name- Itsit
Marathi Name- Ghetuli
Bengali name punarnova
Chinese name: huang xi xin
French name (Fr. Guiana): ipecacuanha de Cayenne
Gujarati name: satodi
Hindi name: gadha-cand, Gadahpurna, Gadah bindo
Kannada name: komme
Konkani name: punarnava
Malayalam name: talutama, tavilama, thazhuthama
Marathi name: ghetoli, ghetula, punarnava, vasu
Nepalese name: punarnava
Portuguese name (Brazil): agarra-pinto, celidônia, pega-pinto
Spanish name: hierba de cabro
Tamil name: mukkurttaikkoti, Mukaratee-Kirei
Telugu name: atakamamidi, punar-nava
Urdu name: tukhm-i-ispast
Note:- white Punarnava variety is known as Horse Purslane in English and Gulijeru in Telugu
पुनर्नवा के उपयोग (Punarnava Benefits)
पुनर्नवा के विशेष लाभ गुण, फायदे जिन्हें पारम्परिक चिकित्सा में उपयोग किया जाता है|
1. अनेको आयुर्वेदिक कंपनी व वैद्यगण पुनर्नवा चूर्ण (punarnava powder) , पुनर्नवा मंडूर, पुनर्नवा गुग्गल, पुनर्नवारिष्ट, पुनर्नवा रसायन बनाते हैं और इनका प्रयोग अनके रोगो के निवारण मे करते है |
2. इसके पत्तों का शाक शोथहर, मूत्रल, शोथ (सूजन) नाशक, मूत्रल (kidney) तथा स्वास्थ्यवर्धक है। जैसे पालक सरसो की सब्जी बनाते हैं, तीक वैसे ही पुनर्नवा की शाक बनाकर खायी जा सकती है।
3. मूत्रावरोधः मे पुनर्नवा का 40 मि.ली. रस या उतना ही काढ़ा ले | पुनर्नवा के पत्ते हल्के गर्म कर पेड़ू पर बाँधें। पुनर्नवाक्षार १ ग्राम की मात्रा मे दिन मे ३ बार गरम पानी के साथ पीने से तुरंत फायदा होता है।
नोट: पुनर्नवाक्षार आयुर्वेदिक औषधियों की दुकान से मिलेगा | किसी अच्छी कंपनी का ले |
4. वृषण शोथः पुनर्नवा का मूल दूध में घिसकर लेप करने से वृषण की सूजन मिटती है। यह योग हाड्रोसील रोग में भी फायदेमंद रहता है।
नेत्र रोगो मे हितकारी (punarnava benefits for eyes)
1 नेत्रों की फूली मे पुनर्नवा की जड़ को घिसकर घी मिला कर आँखों में आँजने करे |
2 नेत्रों की खुजली मे पुनर्नवा की जड़ को शहद अथवा दूध में घिसकर आँखों में आँजने करे|
3 नेत्रों से पानी गिरना मे पुनर्नवा की जड़ को शहद में घिसकर आँखों में आँजने से लाभ होता है।
4 रतौंधीः पुनर्नवा की जड़ को काँजी में घिसकर आँखों में आँजने करने से लाभ होता है |
*बवासीर में पुनर्नवा का प्रयोग*
1 खूनी बवासीर मे पुनर्नवा की जड़ और हल्दी के समभाग लेकर काढ़ा बनायें. ये काढ़े खूनी बवासीर में देने से लाभ होता है।
2 वादी बवासीर मे पुनर्नवा के मूल को पीसकर 200 मि.ली.फीकी छाछ या बकरी के दूध के साथ लेने से लाभ होता है |
*लिवर रोग में पुनर्नवा का प्रयोग*(punarnava benefits for liver)
1 पुनर्नवा, काली कुटकी, चिरायता और सोंठ समान मात्रा में लेकर जौकुट कर काढ़ा बनाकर 2-2 चम्मच सुबह-शाम पीने से लिवर की सूजन में बहुत लाभ होता है।
2 हीपेटाईटिस में लीवर की सूजन : पुनर्नवा की जड़ और सहजन की छाल समभाग ले कर काढ़ा कर देने से लाभ होता है.
3 पीलिया में पुनर्नवा के पंचांग (जड़, छाल, पत्ती, फूल और बीज) का रस को शहद या मिश्री के साथ लें | ताज़ा पुनर्नवा ना मिलने पर काढ़ा बना कर शहद या मिश्री के साथ लें |
*ह्रदय रोग मे पुनर्नवा*
हृदयरोग के कारण यदि सर्वांगसूजन हो गयी हो तो पुनर्नवा के मूल का 10 ग्राम चूर्ण और अर्जुन की छाल का 10 ग्राम चूर्ण लें 200 मि.ली. पानी में काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पियें। ह्रदय रोगों से बचाव मे उपयोगी है |
*एनीमिया मे पुनर्नवा का उपयोग*
पुनर्नवा रस दो चम्मच के नित्य उपयोग से एनीमिया दूर होता है|
Note: वर्षा के मौसम पुनर्नवा का सूप बनायें या साग सब्जी बनाकर खायें, एक साल एनीमिया नहीं होगा|
*आर्थराइटिस संधिवात में*
13 संधिवातः पुनर्नवा के पत्तों की सब्जी सोंठ डालकर खायें।
14 वायुप्रकोप से पैर की एड़ी में दर्द होता हो तो पुनर्नवा में सिद्ध किया हुआ तिल का तेल पैर की एड़ी पर लगाए एवं सेंक करें।
*श्वास रोग मे पुनर्नवा का उपयोग*
भारंगमूल 10 ग्राम चूर्ण व पुनर्नवा 10 ग्राम चूर्ण को 200 मि.ली. पानी में उबालकर काढ़ा बनायें। 50 मि.ली. रहने पर उसमें आधा ग्राम श्रृंगभस्म डालकर सुबह-शाम पियें। श्वास अवरोध (दमा) में लाभ मिलेगा.
पुनर्नवा के कुछ उपयोगी प्रयोग
1 प्रसव विलम्ब – पुनर्नवा के मूल के रस में थोड़ा तिल का तेल मिलाकर योनि में लगायें।
*इससे रुका हुआ बच्चा तुरंत बाहर आ जाता है।*
2 चूहे का विषः सफेद पुनर्नवामूल का 2-2 ग्राम चूर्ण 10 ग्राम शहद के साथ दिन में दो बार दें।
3 पागल कुत्ते का विषः सफेद पुनर्नवा के मूल का रस 25 से 50 ग्राम, 20 ग्राम घी में मिलाकर रोज पियें।
4 पुनर्नवा के मूल का काढ़ा पीने से कच्चा फोड़ा-मूढ़ (दुष्ट) फोड़ा भी मिट जाता है।
5 मोटापा दूर करने के लिए पुनर्नवा (punarnava for weight loss) के 5 ग्राम चूर्ण में 10 ग्राम शहद मिलाकर सुबह-शाम लें।
*पुनर्नवा की सब्जी बना कर खायें।*
6 पेट के रोगः गोमूत्र एवं पुनर्नवा का रस समान मात्रा में मिलाकर पियें।
7 श्लीपद(हाथीरोग)- 50 मि.ली. पुनर्नवा का रस और उतना ही गोमूत्र मिलाकर सुबह शाम पियें।
8 प्रोस्टेट ग्रंथि में वृद्धि होने पर पुनर्नवा की जड़ के चूर्ण का सेवन करें.
*उत्तम स्वास्थ्य के लिए पुनर्नवा का उपयोग*
1 रसायन प्रयोग
रोज सुबह पुनर्नवा के पत्ते का 2 चम्मच (10 मि.ली.) रस पियें.
पुनर्नवा के मूल का चूर्ण 2 से 4 ग्राम की मात्रा में दूध या पानी से लें
सप्ताह में 2 दिन पुनर्नवा की सब्जी बनाकर खायें।
2 दूसरा तरीका
1 पुनर्नवा में मूँग व चने की दाल मिलाकर बढ़िया सब्जी बनती है।
बीमार तो क्या स्वस्थ व्यक्ति भी अपना स्वास्थ्य अच्छा रखने के लिए इसकी सब्जी खा सकते हैं।
2 रोग हो ही नहीं, स्वास्थ्य बने रहें, इसलिए इसकी सब्जी या ताजे पत्तों का रस काली मिर्च व शहद मिलाकर पीना चाहिए।
*यदि आप किसी नगर या शहर में रहते हैं तो पुनर्नवा ढूँढना एक कठिन काम हो सकता है.*
लेकिन आपके लिए भी विकल्प भी उपलब्ध हैं.
शोधों द्वारा पुनर्नवा को एक उत्तम रसायन बताने के बाद इसके सप्प्लिमेंट्स भी खूब बिकने लगे हैं.
Punarnava Ingredient Ayurvedic Medicine:
Punarnava Mandur Tablets used in the treatment of Anemia, splenomegaly, piles, fever et. it is especially used in children.
Punarnavadi Guggulu used in the treatment of gout, sciatica, low back ache etc.
Punarnava Powder Useful as a diuretic, Helps in smooth functioning of the urinary tract, kidney function, Treats dysuria, urinary calculi and edematic conditions, Helpful in treating ulceration of bladder and kidneys.
Lumbaton 90 softgels usefull in LUMBAR Spondylosis, Lower back pain, Sciatica, Lac of Sensation, Herniated inter-vertebral disk (regeneration/degeneration) and other vertebral and skeleto-muscular problems.
Jivanamrtam Rasayana useful in cold and cough, Treats asthma, bronchitis & respiratory tract infections, Protects the lungs and promotes its healthy functioning, Improves immune functions and helps body fight against infections, Promotes metabolism and removes the toxins from the body, Ensures proper functioning of the digestive system.
Narayan Oil used in the treatment of many neuro- muscular and skeleto-muscular conditions, such as arthritis, neuralgia.
Sukumaram kashayam Useful in constipation, menstrual pain
Amritaprasha Ghrita Used for the treatment of burning sensation, fever, bleeding disorders, cough, etc
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