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त्रिफला आयुर्वेद औषधि लाभ

त्रिफला

त्रिफला आयुर्वेद में कई रोगों का सटीक इलाज करता है।  त्रिफला 3 औषधियों (1 भाग हरड, 2 भाग बेहड, 3 भाग आंवला) से बनता है। 1:2:3 के अनुपात वाला चूर्ण ही सही त्रिफला है। ये आयुर्वेद का इंसान के लिए रोगनाशक और आरोग्य देने वाला महत्वपूर्ण योग है। जिसके बारे में हर अके इंसान को पता होना चाहिए। त्रिफला एक तरह की एन्टिबायोटिक है। त्रिफला आपको किसी भी आयुर्वेदिक दुकान पर मिल सकता है। लकिन आप इससे घर पर ही बनाये तो ठीक रहेगा !

लेकिन आपको त्रिफला का सेवन कैसे करना है और कितनी मात्रा में करना है ये आपको पता होना चाहिए। त्रिफला का सेवन सुबह के समये करना चाहये गुड या शहद के साथ मे! त्रिफला कभी अकेला नही लेना चाहये नही तो सुस्ती करता है! रात मे त्रिफला पेट साफ करने का काम करता है!

एक शोध से इस बात का खुलासा हुआ है की त्रिफला के सेवन से कैंसर के सेल नहीं बढ़ते । त्रिफला के सेवन से चर्म रोग, मोटापा, शुगर(डायबिटीज), मूत्र रोग और सिर से संबन्धित बीमारियां जड़ से ख़त्म होते है।

त्रिफला का प्रयोग सांस से जुड़े रोगों के उपचार में भी किया जाता है। त्रिफला के नियमित सेवन से सांस से होने वाली समस्या दूर होती है और फेफड़ों के संक्रमण में भी फायदा होता है।

मोटापे या चर्बी से परेशान लोगों को त्रिफला का सेवन करना चाहये!  त्रिफला, शरीर से वसा (चर्बी) को कम करता है, जो मोटापे को दूर करने में मदद करता है।

डायबिटीज (शुगर) के इलाज में त्रिफला बहुत प्रभावी औषधि होती है। यह पेन्‍क्रियाज को प्रभावित करता है, जो रक्त में इंसुलिन की मात्रा को बढ़ाता है और इंसुलिन के स्‍तर को संतुलित रखता है।

जो लोग कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले है और बार- बार बीमार होते हैं, वे त्रिफला के सेवन से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकते है और सभी प्रकार के रोगों से लड़ने की क्षमता पा सकते है।

त्रिफला का सेवन रोजाना करना चाहिए। क्योंकि इसमें एंटी- ऑक्‍सीडेंट के गुण मौजूद होते हैं, जो बढ़ती उम्र के असर को कम करता है!

त्‍वचा से जुड़े रोगों के उपचार में भी त्रिफला प्रयोग किया जाता है। त्रिफला, शरीर से विषैले पदार्थो को बाहर निकालकर खून साफ करता है और त्‍वचा संबंधी रोगो से आराम दिलाता है।

पेट के रोगों मे त्रिफला का प्रयोग किया जाता है! त्रिफला शरीर की आंतरिक सफाई करती हैं। त्रिफला चूर्ण को गौमूत्र के साथ सेवन करने से अफारा, पेट दर्द, प्लीहा वृद्धि आदि रोगो से छुटकारा मिलता है।

सिरदर्द जेसी समस्‍या को दूर करने में त्रिफला लाभकारी है। त्रिफला, हल्दी, नीम की छाल, गिलोय आदि को पानी में तब तक उबालें, जब तक पानी आधा न रह जाए। बाद में इस पानी को छानकर सुबह- शाम गुड़ या शक्कर के साथ सेवन करें।

कब्‍ज की परेशानी में त्रिफला बहुत ही उपयोगी कारगर साबित होता है। इसके सेवन से कब्‍ज की पुरानी से पुरानी समस्‍या भी दूर हो जाती है। रात को सोते समय त्रिफला चूर्ण को गर्म दूध या गर्म पानी के साथ खाने से कब्ज की परेशानी में आराम मिलता है।

त्रिफला का रोजाना सेवन करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। रात को एक गिलास पानी में एक चम्मच त्रिफला भिगोकर रखें और सुबह भिगोए हुए त्रिफला को मसल और छानकर आंखों को धोएं। इसके अलावा त्रिफला चूर्ण को पानी में भिगो कर रखें और शाम पानी छानकर पीएं। यह आंखों से जुड़ी सभी समस्याओं को दूर करता है।

यदी अप के मुंह से दुर्गन्‍ध आती है तो त्रिफला आपके लिए बहुत ही फायदेमंद है। एक गिलास ताजे पानी में एक चम्मच त्रिफला चूर्ण  (Triphala Churna Powder) दो से तीन घंटे के लिए भिगोएं और बाद में इस पानी अच्छी तरह कुल्ला करें, मुंह की दुर्गन्ध समाप्त हो जयगी! इसके अलावा त्रिफला चूर्ण से मंजन करने से भी मुंह के छाले और मुंह की दुर्गन्ध भी दूर होते हैं।

यदि आप एनीमिया या खून की समस्या से परेशान हैं तो त्रिफला का नियमित रूप से सेवन करने पर शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं बढ़ती व संतुलित रहती हैं जो रक्त में हीमोग्‍लोबिन बढ़ाने का काम करती है।

बिना सलाह के त्रिफला लेने से नुकसान हो सकता है वैसे तो त्रिफला बिल्कुल सुरक्षित और असरदार दवा है लेकिन अगर इसे बिना किसी चिकित्सकीय परामर्श के लेते रहने से कुछ समस्याएं हो सकती हैं।

त्रिफला की तासीर गर्म और खुस्क होती है, इसलिए गर्भवती महिलाओं को त्रिफला का सेवन न करने की सलाह दी जाती है। गर्भावस्था के दौरान त्रिफला का सेवन करने से घबराहट, पेचिश व अन्य समस्याएं हो सकती हैं। त्रिफला का प्रयोग अक्सर गैस्ट्रिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए किया जाता है, लेकिन कई बार बिना परामर्श के अधिक मात्रा में सेवन करने से डायरिया जैसी समस्या हो सकती है। इसके अलावा इसका दुष्प्रभाव शरीर में पानी की कमी की समस्या भी पैदा कर सकता है।

त्रिफला का अत्यधिक सेवन करने से कई बार लोगों को अनिद्रा (नींद न आना) की परेशानी हो जाती है।

त्रिफला के अधिक सेवन से लूज मोशन यानी दस्त की शिकायत हो जाती है, जिससे रोगी का ब्लड प्रेशर प्रभावित होता है। ऐसे स्थिति में ब्लड प्रेशर के मरीज को कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

किसी भी दवा, योग और नुस्खे को आजमाने से पहले एक बार नजदीकी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य ले लें

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