पुदीना गर्मियों में विशेष उपयोगी एक सुगंधित औषध हैl यह रुचिकर, पचने में हलका, तीक्ष्ण, ह्रदय-उत्तेजक, विकृत कफ को बाहर लानेवाला, गर्भाशय-संकोचक और चित्त को प्रसन्न करनेवाला हैंl पुदीने के सेवन से भूख खुलकर लगती है और वायु का शमन होता हैंl यह पेट के विकारों में विशेष लाभकारी हैl श्वास, मुत्राल्पता तथा त्वचा के रोगों में भी यह उपयुक्त हैंl
औषधि प्रयोग
1. पेट के रोग : अपच, अजीर्ण, अरुचि, मंदाग्नि, अफरा, पेचिश, पेट में मरोड़, अतिसार, उलटियाँ, खट्टी डकारें आदि में पुदीने के रस में जीरे का चूर्ण व आधे नींबू का रस मिलाकर पीने से लाभ होता हैl
2. मासिक धर्म : पुदीने को उबालकर पीने से मासिक धर्म की पीड़ा तथा अल्प मासिक स्राव में लाभ होता हैंl अधिक मासिक स्त्राव में यह प्रयोग न करेंl
3. गर्मियों में : गर्मी के कारण व्याकुलता बढने पर एक गिलास ठंडे पानी में पुदीने का रस तथा मिश्री मिलाकर पीने से शीतलता आती हैl
4. पाचक चटनी : ताजा पुदीना, काली मिर्च, अदरक, सेंधा नमक, काली द्राक्ष और जीरा – इन सबकी चटनी बनाकर उसमें नींबू का रस निचोड़कर खाने ने रूचि उत्पन्न होती है, वायु दूर होकर पाचनशक्ति तेज होती हैl पेट के अन्य रोगों में भी लाभकारी हैl
5. उलटी-दस्त, हैजा : पुदीने के रस में नींबू का रस, अदरक का रस एवं शहद मिलाकर पिलाने से लाभ होता हैl
6. सिरदर्द : पुदीना पीसकर ललाट पर लेप करें तथा पुदीने का शरबत पियेंl
7. ज्वर आदि : गर्मी में जुकाम, खाँसी व् ज्वर होने पर पुदीना उबाल के पीने से लाभ होता हैंl
8. नकसीर : नाक में पुदीने के रस की 3 बूँद डालने से रक्तस्त्राव बंद हो जाता हैंl
9. मूत्र-अवरोध : पुदीने के पत्ते और मिश्री पीसकर 1 गिलास ठंडे पानी में मिलाकर पियेंl
10.गर्मी की फुंसियाँ : समान मात्रा में सूखा पुदीना एंव मिश्री पीसकर रख लेंl रोज प्रात: आधा गिलास पानी में 4 चम्मच मिलाकर पियेंl
11. हिचकी : पुदीने या नींबू के रस-सेवन से राहत मिलती हैंl
मात्रा: रस -5 से 200 मि.ली.l अर्क 10 से 20 मि.ली. (उपरोक्त प्रयोगों में पुदीना रस की जगह अर्क का भी उपयोग किया जा सकता है ) l पत्तों का चूर्ण – 2 से 4 ग्राम (चूर्ण बनाने के लिए पत्तों का छाया में सुखाना चाहिये )l